मस्जिदों और मदरसों को गिराने वालों के घर अल्लाह खाक में मिला देते हैं – मुफ्ती राशिद आज़मी
देवबंद: देवबंद के ईदगाह मैदान में चल रहे जमीअत ए उलमा हिंद के अधिवेशन के दो दिवसीय अधिवेशन के दूसरे दिन आखिरी चरण की बैठक में ज्ञानवापी मस्जिद, धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और समान नागरिक संहिता (कॉमन सिविल कोड) जैसे प्रस्ताव रखे गए। जिनकी उलेमा ने सर्मथन करते हुए कहा कि कॉमन सिविल कोड भारत में बसने वाले विभिन्न वर्गों एवं विभिन्न धर्मों के लिए नुकसानदायक है। वही ज्ञानवापी मस्जिद और धार्मिक स्थलों को लेकर कहा गया है कि आजादी के समय देश में आज से ज्यादा पर हालात खराब थे लेकिन उसके बावजूद उलमा ए देवबंद ने अंग्रेजों को यहां से भगाया और यह उलमा की कुर्बानी थी कि आज भी इस देश में हजारों लाखों मदरसे और मस्जिदें आबाद हैं।
दूसरे दिन विभिन्न प्रांतों से आए अध्यक्ष और उलेमा विभिन्न मुद्दों पर अपने प्रस्ताव रख रहे हैं। प्रो. नोमान शाहजहापुरी ने कॉमन सिविल कोड के खिलाफ अपना प्रस्ताव रखा, जिसका समर्थन सांसद मौलाना बदरूद्दीन अजमल ने किया।
ज्ञानवापी मस्जिद और शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा सहित को लेकर हाफिज उबैदुल्लाह ने प्रस्ताव रखा जबकि दारुल उलूम देवबंद के नायब मोहतमिम मौलाना मुफ्ती राशिद आज़मी ने उसका समर्थन करते हुए कहा कि हमारा ने बुजुर्गों ने आज़ादी की लड़ाई लड़ी और इस देश को आजाद कराया, हमारे उलेमा की कुर्बानियां की वजह से आज यहां लाखों मस्जिदे और मदरसे आबाद है। मुफ्ती आजमी ने कहा कि मस्जिदों और मदरसों को गिराने वालों के घर अल्लाह खाक में मिला देते हैं
नगर के ईदगाह मैदान में चल रहा जमीयत अधिवेशन अपने तीसरे और आखिरी चरण में पहुंच गया है। अधिवेशन में अभी तक देश में नफ़रत के बढ़ते हुए दुषप्रचार को रोकने के उपायों पर विचार का प्रस्ताव, इस्लामोफ़ोबिया की रोक थाम के विषय में प्रस्ताव, अल्पसंख्यकों के शैक्षिक और आर्थिक अधिकारों पर विचार, मुस्लिम वक्फ संपत्तियों के संबंध में प्रस्ताव, सद्भावना मंच को मजबूत करने पर विचार, सोशल मीडिया पर ऐसे संक्षिप्त संदेश पोस्ट करें जो इस्लाम के गुणों और मुसलमानों के सही पक्ष को उजागर करें, फलिस्तीन और इस्लामी जगत के संबंध में प्रस्ताव, पर्यावरण संरक्षण से संबंधित प्रस्ताव, कॉमन सिविल कोर्ट के विरोध में प्रस्ताव रखे जा चुके हैं।