सच्चर कमेटी – वक़्फ़ बोर्ड संशोधन बिल और मुसलमानों की बदहाली
सच्चर कमेटी – वक़्फ़ बोर्ड संशोधन बिल और मुसलमानों की बदहाली
शिब्ली रामपुरी
मौजूदा भाजपा सरकार वक़्फ़ बोर्ड में जो संशोधन की बात कर रही है दरअसल उस पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए तो सच्चर कमेटी की वह रिपोर्ट याद आ जाती है जो कभी कांग्रेस के शासनकाल में सामने आई थी लेकिन आज तक भी उस पर कोई अमल नहीं हो सका और इसी को आधार बनाकर मोदी सरकार वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन की बात कर रही है और इसे लागू किए जाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है.
पू्र्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने वर्ष 2005 में मुस्लिम समुदाय की आर्थिक-सामाजिक स्थिति के अध्ययन के लिए एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी के अध्यक्ष दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस राजिंदर सच्चर थे. इस कारण इसका नाम सच्चर कमेटी पड़ा. कमेटी में छह अन्य मेंबर भी थे. इस कमेटी ने मुस्लिम समुदाय की स्थिति बेहतर करने के लिए कई सुझाव दिए थे. सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया था कि देश में मुसलमानों की आर्थिक राजनीतिक सामाजिक स्थिति कितनी कमजोर है और यह भी बताया गया था कि उनकी यह स्थिति मजबूत होने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिएं हालांकि उस वक्त इस रिपोर्ट पर काफी हंगामा भी हुआ था और इसे कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति करार दिया गया था.
अब मोदी सरकार वक़्फ़ बोर्ड अधिनियम में संशोधन की बात कर रही है उसमें यही बताया जा रहा है कि नये विधेयक में सरकार ने जो सुझाव दिया है उसमें वक्फ बोर्ड द्वारा प्राप्त धन का इस्तेमाल विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के कल्याण के लिए किया जाना जाएगा ।विधेयक पेश करने बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सच्चर कमेटी के बारे में हम सभी को मालूम है. कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वक्फ बोर्ड की जितनी भी प्रॉपर्टी है उससे सिर्फ 163 करोड़ ही आमदनी होती है. अगर सही तरीके से इन संपत्तियों को मैनेज किया जाए तो इससे 12 हजार करोड़ रुपये सालाना इकट्ठा हो सकते हैं. ये बातें पुराने समय की है. आज के समय में इससे और भी ज्यादा पैसे प्राप्त हो सकते हैं. इससे मुस्लिम समुदाय की स्थिति बेहतर करने में काफी आर्थिक मदद मिलेगी. सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया कि बोर्ड में महिला सदस्यों को भी जगह दी जाए.
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही इस बिल को लाया गया है.दरअसल वक्फ की संपत्ति का संचालन करने के लिए वक्फ बोर्ड बने हैं। देश भर में करीब 30 स्थापित संगठन हैं जो उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं। सभी वक्फ बोर्ड वक्फ अधिनियम 1995 के तहत काम करते हैं।देश की आजादी के बाद 1954 वक्फ की संपत्ति और उसके रखरखाव के लिए वक्फ एक्ट -1954 बना था। 1995 में इसमें कुछ बदलाव किए गए। इसके बाद 2013 में इस एक्ट में कुछ और संशोधन किए गए।
केंद्र सरकार द्वारा वक़्फ़ सम्पत्तियों के मामले पर जिस तरह का रुख़ अपनाया गया है उसको देखकर हैरानी भी होती है और हम इस सत्य से भी इनकार नहीं कर सकते हैं कि वक़्फ़ की बहुत सारी संपत्तियों पर कुछ लोगों की मनमर्जी काफी वर्षों से चल रही है. यदि सरकार जो संशोधन करना चाह रही है उसको अमलीजामा पहना दिया जाता है तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार के इस निर्णय से मुसलमानों को क्या लाभ होने वाला है?
काफी पहले से यह बात कही जाती रही है कि जो वक़्फ़ संपत्तियां हैं यदि उनका सही तरह से उपयोग किया जाए और उन पर किसी की मनमर्जी ना चले तो इससे जो आय अर्जित होती है वह मुसलमानों के विकास पर खर्च की जाए तो इससे उनका तरक्की और खुशहाली का रास्ता खुल सकता है लेकिन आजादी के बाद से लेकर अब तक ऐसा नहीं हो सका है. पूर्व की कांग्रेस में सच्चर कमेटी का गठन किया गया था और सच्चर कमेटी ने कई सिफारिशात बताए थे लेकिन वह कभी भी लागू नहीं हुए. ऐसे में मौजूद भाजपा की केंद्र सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह इस फैसले के बाद मुसलमानों के हित के लिए क्या कार्य करेगी यह स्थिति स्पष्ट हो जाए तो जो मुसलमानों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है वह दूर हो जाएगी. वैसे तो नए विधायक में सरकार द्वारा स्पष्ट तौर पर कहा जा रहा है कि यह मुस्लिम महिलाओं के उत्थान के लिए होगा और इससे जो पैसा आएगा वह महिलाओं की बदहाली को दूर करने की दिशा में किया जाएगा. लेकिन सच्चर कमेटी में सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की बदहाली का ही जिक्र नहीं था बल्कि उसमें पूरे मुस्लिम समुदाय की बदहाली को सामने रखा गया था और न सिर्फ उनकी बदहाली को आईने की तरह बता दिया गया था बल्कि बदहाली कैसे दूर हो इसके बारे में भी स्पष्ट तौर पर कई तरीक़े भी बताए गए थे अब जो नया विधेयक आ रहा है अगर वह लागू हो जाता है तो क्या मुसलमानों की स्थिति को उसी तर्ज़ पर दूर करने का प्रयास होगा कि जो सच्चर कमेटी में बताए गए थे.