धामी का सियासी मास्टरस्ट्रोकः संतुलन भी, सियासत भी!
कई नए चेहरों को विभागीय जिम्मेदारियां सौंपकर चौकाया
हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की जताई प्रतिबद्धता
मौहम्मद शाहनज़र
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नवरात्रों के शुभ अवसर पर बड़ा सियासी दांव खेला है। सरकार ने कई नए चेहरों को विभागीय जिम्मेदारियां सौंपकर न केवल राजनीतिक संतुलन साधा, बल्कि जनता के विकास कार्यों को भी नई रफ्तार देने का इरादा जता दिया है। इस फैसले से जहां पार्टी के भीतर समीकरण मजबूत हुए हैं, वहीं जनता को भी भरोसा दिलाया गया है कि सरकार हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रतिबद्ध है।
हर वर्ग को प्रतिनिधित्व, हर क्षेत्र को मजबूती
धामी सरकार ने नियुक्तियों में क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन का खास ध्यान रखा है। सायरा बानो को उत्तराखंड राज्य महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाकर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ अल्पसंख्यकों को भी प्रतिनिधित्व देने का दम दिखाया है, जबकि भगवत प्रसाद मकवाना को दुबारा से सफाई कर्मचारी आयोग की जिम्मेदारी देकर समाज के हर वर्ग को भागीदारी देने का संकेत दिया गया है।
वहीं, हरक सिंह नेगी और शांति मेहरा को वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद में जगह दी गई है, जिससे बुजुर्गों के कल्याण की योजनाओं को और मजबूती मिलेगी। खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए हेमराज बिष्ट को राज्य स्तरीय खेल परिषद का उपाध्यक्ष बनाया गया है।
सियासत में संतुलन साधने की चतुर रणनीति
उत्तराखंड की राजनीति में हाल ही में कई तरह की चर्चाएं गर्म थीं, लेकिन धामी सरकार ने इन नियुक्तियों से यह साफ कर दिया कि वह हर वर्ग को संतुलित प्रतिनिधित्व देने में पूरी तरह सक्षम है। यह सिर्फ राजनीतिक नियुक्ति नहीं, बल्कि प्रशासनिक मजबूती की दिशा में भी एक ठोस कदम है।
धामी सरकार के इस फैसले से पार्टी के भीतर असंतोष की गुंजाइश कम होगी, जबकि सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने में मदद मिलेगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ये नए चेहरे अपने-अपने पदों पर कितना प्रभावी प्रदर्शन करते हैं और सरकार की उम्मीदों पर कितना खरा उतरते हैं। लेकिन इतना तो तय है कि धामी सरकार ने एक तीर से कई निशाने साधने का काम किया है।