डिबेट में अब सभ्यता कहां रह गई है?
डिबेट में अब सभ्यता कहां रह गई है?
शिब्ली रामपुरी
तू फर्जी पत्रकार है तु चापलूस है. तेरी कोई औकात नहीं है तुझे सिर्फ पांच वोट मिले थे.
यह एक मशहूर टीवी चैनल पर अभी हाल ही में जो डिबेट हुई उसमें जो वीडियो वायरल हुई उसके कुछ शब्द हैं. उस डिबेट में एक दूसरे के बारे में कहा तो बहुत कुछ गया था लेकिन कुछ शब्द ही यहां पर लिखे गए हैं बाकी लिखना सभ्यता के दायरे के खिलाफ होगा.
एक और सोशल मीडिया पर वीडियो एक चैनल की वायरल है उसमें आपस में डिबेट करने वाले एक दूसरे के बाप को बुरा भला कह रहे हैं. उसमें जो कुछ कहा गया एक दूसरे के बारे में वह यहां लिखना किसी भी तरह की सभ्यता नहीं होगी अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिन शब्दों को लिखा नहीं जा सकता वह डिबेट में एक दूसरे पर खूब उछाले जाते हैं और उछाले जा रहे हैं.
सोशल मीडिया पर बहुत लोग इस बात को लिखते हैं और बल्कि अब तो लोग खुले तौर पर कहने भी लगे हैं कि जो टीवी चैनलों पर डिबेट होती है उसमें अधिकतर चेहरे पैसे लेकर वहां बुलाए जाते हैं ताकि उनकी टीआरपी बढ़ सके या फिर कुछ और भी मकसद हो सकता है. ऐसे लोगों के बारे में अब क्या कहा जाए सिर्फ अफसोस ही किया जा सकता है कि जो लोग चंद पैसों के लिए कुछ हजार रूपयो के लिए टीवी चैनलों की डिबेट में जाते हैं और फिर वहां पर अपमानित भी होते हैं.
अभी हाल ही में एक विद्वान और एक मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता से बातचीत हुई तो उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि देखिए जो टीवी पर आपको यह शोर शराबा नजर आता है यह अधिकतर पैसे देकर ऐसे लोगों को बुलाने की वजह से होता है क्योंकि उनसे बोला जाता है कि आपको इस डिबेट में यह सब बोलना है ऐसी बातें उन्होंने कहीं जो अब पूरी तरह तो नहीं लेकिन काफी हद तक उनकी बातें सच साबित होती नजर आ रही हैं. चांद रूपयों के लिए जो लोग डिबेट में जाकर यह सब करते हैं या फिर किसी भी तरह से वह डिबेट फिक्स होती है तो यह लोग तो पैसा कमा जाते हैं लेकिन इस डिबेट का असर कितना गलत समाज पर होता है इसके बारे में शायद यह नहीं सोचते क्योंकि किसी भी तरह की गलतफहमी एक समुदाय या एक समाज के लोगों को बहुत परेशानी में डालने का काम करती है और आज हो भी यही रहा है कि किस तरह से लोगों को आज गलतफहमियों की वजह से तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करने को मजबूर होना पड़ रहा है. मैं समझता हूं इसके लिए टीवी पर वह लोग बहुत हद तक जिम्मेदार हैं कि जो पैसे लेकर जाते हैं और जिनको ज्ञान भी बहुत कम होता है लेकिन अधिकतर टीवी चैनलों पर यह चेहरे लगातार आपको दिखाई देंगे मगर अफसोस की बात यह है कि इनको ये सब करते हुए शर्म नहीं आती है. कुछ लोग खुद को मीडिया में चमकाने के लिए किसी भी हद तक जाने को जैसे तैयार ही बैठे रहते हैं कि उनका चाहे अपमान हो उन पर कोई कुछ भी टिप्पणी करें उनके बारे में कुछ भी बोले लेकिन वह इन टीवी चैनलों की डिबेट में जरूर जाएंगे. आखिर यह सब क्या हो रहा है?
ऐसे लोगों को क्यों बढ़ावा दिया जाता है कि जिनमें शालीनता नाम की कोई चीज नहीं होती या जो सभ्यता की परवाह नहीं करते हैं. इसी वजह से आज अधिकतर टीवी चैनलों की डिबेट का स्तर बिल्कुल जमीन तक पहुंच चुका है.