पैगंबरे इस्लाम की शिक्षाएं, मज़दूर की मज़दूरी उसका पसीना सूखने से पहले दे दी जाए
शिब्ली रामपुरी
मौजूदा समय की यह बड़ी ही विचित्र और अफसोसनाक बात है कि बगैर कुछ सोचे समझे और जाने बगैर पैगंबरे इस्लाम के बारे में बहुत लोग अनाप-शनाप बोलने लगते हैं दरअसल इसकी वजह यह है कि उनको जानकारी होती नहीं है और जो कुछ वह इधर-उधर से सुनते हैं वह उस पर यकीन कर लेते हैं जबकि सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है.
बहुत ऐसे लोग हैं जो यह समझते हैं कि पैगंबरे इस्लाम हज़रत साहब की शिक्षाएं सिर्फ मुसलमानों के लिए हैं और उन्होंने सिर्फ मुसलमानों की भलाई के लिए ही संदेश दिया है जबकि यह बात पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि पैगंबरे इस्लाम की ऐसी बहुत सारी शिक्षाएं हैं जो पूरी मानव जाति के कल्याण के लिए हैं. जिसमें एक बड़ी शिक्षा उन्होंने मजदूरों के हक में दी है और ऐसी बात मजदूरों के हक में कही गई है कि जिसे यदि गंभीरता से सुना जाए और अमल किया जाए तो कोई भी गरीब शायद गरीब नहीं रहेगा क्योंकि अधिकतर लोग इसलिए गरीब रह जाते हैं कि उनकी मजदूरी उनको नहीं मिल पाती है.उनकी मेहनत का पैसा नहीं दिया जाता.पैगंबरे इस्लाम की एक मशहूर हदीस(कथन) है कि मजदूर की मजदूरी उसका पसीना सूखने से पहले अदा कर दी जाए. इसको आसान शब्दों में कहा जाए तो इसका अर्थ यह होता है कि जो मजदूर किसी के यहां काम कर रहा है चाहे वह किसी कारखाने में हो चाहे वह किसी भी नौकरी में हो कहीं पर भी हो अगर वह मजदूर किसी के यहां काम कर रहा है तो जो उसका मेहनताना उसकी मजदूरी उसका पारिश्रमिक बैठता है उसको उसके पसीना सूखने से पहले दे दिया जाए इसका सीधा सा अर्थ यह है कि उसकी मजदूरी उसके काम समाप्त करने से पहले दे देनी चाहिए ताकि उसको किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो और जाहिर सी बात है कि जब किसी इंसान को उसका मेहनताना उसकी मजदूरी बिल्कुल वक्त पर मिलेगी या वक्त से पहले ही मिलेगी तो उसके अंदर काम करने का जहां एक जज्बा पैदा होगा वही वह अपनी मजदूरी पाकर बेहद खुश होगा. अब ज़रा इस पर गौर कीजिए कि क्या ऐसा हो रहा है हकीकत तो यह है कि ऐसे बहुत सारे मामले तो खुद मुसलमानों में सामने आते हैं कि जहां पर मजदूरों को सही समय पर उनकी मजदूरी नहीं दी जाती तो इससे यह साबित होता है कि पैगंबरे इस्लाम हज़रत साहब की जो शिक्षाएं हैं वह केवल मुसलमानों के लिए नहीं हैं बल्कि वह पूरे मानव जाति के कल्याण के लिए हैं और जो लोग उनके बारे में अनाप-शनाप बोलते हैं दरअसल उनको ज्ञान नहीं होता और वह ऐसा अज्ञानता में बोल रहे हैं यदि वह पैगंबरे इस्लाम के बारे में पढ़ेंगे तो उनको हकीकत पता लगेगी कि उनकी शिक्षाएं सिर्फ मुसलमानो के लिए ही नहीं बल्कि पूरे मानव जाति के कल्याण के लिए हैं और हमेशा रहेंगी.