बदलते वक्त के साथ उठने लगे हैं मुसलमानों की बदहाली पर सवाल

 

     (शिब्ली रामपुरी)


यह तो मुझे मालूम नहीं कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यह बयान किस कार्यक्रम या किस इंटरव्यू में दिया लेकिन एक वीडियो उनकी वायरल है जिसमें वह मुसलमानों की बदहाली का जिक्र करते आ रहे हैं कि आजादी के इतने वक्त बाद भी मुसलमान बदहाल क्यों है?दूसरी ओर हाल ही में शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल ने मुसलमानों को लेकर बड़ी बात कही और यह वीडियो भी काफी वायरल है लोग अपने-अपने तरीके से इस पर अपनी राय रख रहे हैं.

          कुछ लोगों की नजर में बादल साहब को ऐसा नहीं बोलना चाहिए था लेकिन जहां तक मैं समझता हूं अब इस तरीके के सवाल उठना जरूरी हो गए हैं कि आखिर मुसलमानों की इतनी बड़ी आबादी देश में होने के बावजूद भी वह आज तक बदहाली के शिकार क्यों है. आज मुस्लिम लीडरशिप तकरीबन दम दौड़ चुकी है वैसे तो मजबूत वो कभी थी ही नहीं. क्या आप राष्ट्रीय स्तर पर कोई ऐसा नेता बता सकते हैं जो मुसलमानों का नेतृत्व करता हो या कोई ऐसी पार्टी बता सकते हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों का राजनीतिक नेतृत्व करने में सक्षम हो?

 देश में मुसलमानों की आबादी 18% के करीब बताई जाती है लेकिन अफसोस की बात यह है कि इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद भी वह आज तक पिछड़ेपन के शिकार हैं और उनके पिछड़ेपन को लेकर हर चुनाव में बड़े जोशो खरोश के साथ नारेबाजी होती है उनको ख्वाब दिखाए जाते हैं लेकिन यह एक तल्ख़ हकीकत है जिसे काफी प्रयासों के बावजूद भी हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि मुसलमानों को सिर्फ सुनहरे दिनों के नाम पर बहकाया ही जाता रहा है और आज भी यह सिलसिला इसी तरह से जारी है.

 

पिछले काफी वक्त से मुसलमानों के पिछड़ेपन उनकी बदहाली उनमें फैली अशिक्षा राजनीतिक तौर पर उनकी कमजोरी को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं कि आखिर ऐसा कब तक चलता रहेगा कब तक यह क़ौम यह समुदाय पिछड़ेपन का शिकार रहेगा यह वह सवाल है जो उठना लाजिमी है क्योंकि जब तक सवाल खड़े नहीं होंगे तब तक उनका जवाब नहीं मिलेगा और जब तक वजह और जवाब सामने नहीं आएंगे तब तक इस समस्या का समाधान होने वाला नहीं है इसलिए सभी राजनीतिक नेताओं- राजनीतिक पार्टियों और मुस्लिम उलेमा को चाहिए कि वह इस पर गंभीरता से विचार करें. भाजपा आ जाएगी तो यह हो जाएगा मुसलमानों का विकास नहीं होगा आदि तरह की बातें कब तक होती रहेंगी आखिर कब तक इस तरीके का भय दिखाकर कुछ राजनीतिक पार्टियां अपना स्वार्थ पूरा करती रहेंगी.

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