आज़ादी के इतने वर्ष बाद भी आखिर मुसलमान राजनीतिक तौर पर इतने बदहाल क्यों हैं

शिब्ली रामपुरी

देश की आजादी के इतने वक्त बाद भी आखिर मुसलमानों को सियासी तौर पर बदहाली का सामना क्यों करना पड़ रहा है और इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
कोई भी चुनाव हो हर चुनाव में मुसलमानों की बात की जाती है. जो खुद को सेकुलर पार्टीयां कहती हैं वह मुसलमानो की हमदर्दी में कोई कमी बाकी नहीं रखती हैं उनको सुनहरे ख्वाब दिखाए जाते हैं उनसे अच्छे दिनों के वायदे किए जाते हैं लेकिन इस सब के बावजूद भी मुसलमानों की मौजूदा स्थिति पर अगर हम गौर करें तो यह बात आईने की तरह साफ है कि मुसलमान राजनीतिक तौर पर मौजूदा दौर में बिल्कुल हाशिये पर पहुंच चुका है.
ऐसा नहीं है कि देश में मुस्लिम नेताओं की कमी है तकरीबन हर राजनीतिक पार्टी में कई बड़े ऐसे मुस्लिम चेहरे हैं जो मुस्लिम मुद्दों पर टीवी डिबेट से लेकर चुनावी मंचो तक खूब मुसलमानों की बात जोशो खरोश के साथ करते हैं और चुनाव के वक्त तो वह मुसलमानों के बीच पहुंचकर उनकों यह समझाते हैं कि देखो हम ही तुम्हारे हमदर्द हैं जिस पार्टी से हम जुड़े हैं वही आपका विकास कर सकती है लेकिन अफसोस की बात है कि इन तमाम बातों के बावजूद भी मुसलमानों का आज तक वह विकास नहीं हो पाया है कि जिसके मुसलमान वास्तविक तौर पर हकदार हैं.
यह एक कड़वी सच्चाई है कि कभी बीजेपी का खौफ दिखाकर मुसलमानों के वोट कुछ राजनीतिक पार्टियों हासिल करती हैं तो कभी मुसलमानों की बदहाली का जिक्र करते हुए उनको अच्छे ख्वाब दिखाकर मुसलमानों के वोट लिए जाते हैं और यह सिलसिला लगातार चल रहा है और न जाने यह सिलसिला कब तक चलता रहेगा कि लुभावनी बातें करके मुसलमानों को गुमराह करके उनके वोट हासिल किए जाते रहेंगे. 2024 में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं सभी राजनीतिक पार्टियों ने इसकी तैयारी कर ली है और एक बार फिर से मुसलमानों को सुनहरे ख्वाब दिखाए जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है ऐसे में अब यह सोचने समझने की जरूरत है कि मुसलमानों को राजनीतिक तौर पर अपनी बदहाली कैसे दूर करनी होगी और यह बात उन मुस्लिम नेताओं को भी सोचने की जरूरत है कि जो मुसलमान के वोट हासिल करके आज तक अपना राजनीतिक फायदा ही करते आए हैं मगर मुस्लिमों की बदहाली दूर करने के लिए उनको जो कुछ ज़मीनी तौर पर करना चाहिए उसमें वो नाकामयाब ही रहे हैं. मुसलमानो का राजनीतिक तौर पर मजबूत होना इसलिए जरूरी है क्योंकि किसी भी समाज के विकास के लिए सफलता का रास्ता राजनीति से होकर जाता है जब राजनीति में इस समाज का अच्छा प्रतिनिधित्व होगा तो समाज के सामने जो समस्याएं हैं चाहे वह शिक्षा हो रोजगार हो या कोई और समस्या हो उसका जरूर समाधान होगा.

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