नुमाइंदा ग्रुप ऑफ़ उत्तराखंड और से देहरादून में आयोजित ‘जश्न-ए-आजादी-पैगाम-ए-मोहब्बत

“हो जिसमें प्यार भी, तहजीब भी, इज्जत भी, उल्फत भी, चलो मिलकर हमें ऐसा नया भारत बनाना है”

देहरादून। स्वतंत्रता दिवस के शुभअवसर पर नुमाइंदा ग्रुप ऑफ़ उत्तराखंड के संयोजक पूर्व मंत्री हाजी याकूब सिद्दीकी की और से टाउन हाल, नगर निगम देहरादून में आयोजित ‘जश्न-ए-आजादी-पैगाम-ए-मोहब्बत, देश में भाईचारा, कवि सम्मेलन व मुशायरे में पहुंचे कवि-शायरों ने श्रोत्राओं को मंत्रमुगध कर दिया। इस मौके पर नुमाइंदा ग्रुप ऑफ़ उत्तराखंड की और से तिरंगा यात्रा भी निकाली गई, जिसको पूर्व आईएएस अधिकारी डॉ. रणवीर सिंह व याकूब सिद्दीकी ने कबूतर उडा कर रवाना किया। तिरंगा यात्रा के बाद गोष्ठि में वक्ताओं ने देश में भाईचारा बढ़ाने का संदेश दिया। उसके बाद मुशायरा शुरू हुआ तो शायरों ने अपने लाजवाब कलाम से देश प्रेम का जज्बा तो बढ़ाया ही वर्तमान हालात की अक्कासी भी की।
देहरादून के कवि जसविंद्र सिंह ‘हालदर’ ने सैनिकोें का मान बढ़ाते हुए कहा कि, ‘धारा का मान बढ़ता है, गगन की शान बढ़ती है’ ‘शहादत ही किसी कौम की पहचान गढ़ती है’ ‘हकीकत है वतन पर जा लूटाना ही शहादत है’ ‘तिरंगे में लिपटकर मौत भी परमान चढ़ती है’। दून के शायर तौसीर ‘शाख’ ने अपने जुदा अंदाज में कहा कि, ‘जुल्म से जिसको डराओगे वह डर जाएगा, तुम जिसे मारोगे यह माना वह मर जाएगा, हाकिम-ए-वक्त क्या एहसास नहीं है तुझको, इस तरह मुल्क का शेराज़ा बिखर जाएगा।
दून के इम्तियाज़ अकबराबादी ने कहा कि, ‘अमानत है यह दुनिया भी जिससे तुम खर्च करते हो, कभी तुम ने यह सोचा है कमाकर कौन रखेगा’। टांडा से पधारे अफ़रोज़ टांडवी ने इश्किया अंदाज में कहा कि, ‘आज जो हमने उसे छत पर टहलते देखा, मुद्दतों बाद
दुखी दिल को बहलते देखा’। सहारनपुर से पधारी युवा शायरा इकरा नूर ने कहा कि ‘फूल भी हैं मेरे, चमन है मेरा, यह वतन है मेरा यह वतन है मेरा’। अपने कलाम और अंदाज के लिये देश भर में पहचाने जाने वाले शायर जावेद ‘आसी’ ने वतन की मुहब्बत को सामने रखते हुए कहा कि, ‘शोहरातों के लिए, ना धन के लिए, शेर कहता हूं मैं वतन के लिए’ मेरे दिल में यही तमन्ना है, हो तिरंगा मेरे कफन के लिए’। नईम अख्तर देवबंदी ने पड़ा कि ‘यह भी जरूर लिखना मेरी दास्तान में, है आंसुओं की गुफ्तगू दिल की जुबान में‘। असलम खतोल्वी ने कहा कि ‘कभी आना से, कभी बेबसी से लड़ता हूं, मैं अपने साथ भी संजीदगी से लड़ता हूं’।
शायरा रिफअत जमाल ने कहा कि, ‘जला डाली है तुमने बस्तियां अपने बयानों से, धुंआ नफरत का टकराने लगा है आसमानों से’। पंजाब से पधारी इशा नाज़ ने कहा कि, ‘अंधेरा नफरतों का मुल्क से अपने मिटाना है, है शेदाई मोहब्बत के जमाने को दिखाना है, हो जिसमें प्यार भी, तहजीब भी, इज्जत भी, उल्फत भी, चलो मिलकर हमें ऐसा नया भारत बनाना है’। उत्तराखण्ड गौरव सम्मान से सरफराज़ किये गये शायर अज़फ़ल मंगलौरी ने कहा कि, ‘तू विधाता के हाथों का है संकलन, देवताओं का है तू पवित्र आचमन, स्वर्ग जैसा है तु मेरे प्यारे वतन, मेरे प्यारे वतन’। गोपाल दास निराज के पुत्र शशांक प्रभाकर ने कहा कि, ‘इस तरह मां के दूध की कीमत चुकाई है, हमने कभी तिरंगे को झुकने नहीं दिया, खुद तो वतन की शान पर हम मिट गए,मगर सिंदूर उसकी मांग का मिटने नहीं दिया’। रियाज सागर खतौली ने कहा कि, ‘डूब कर भी हम उभरना जानते हैं और गिरकर भी संभालना जानते हैं, रोशनी है इसलिए अब तक, हम हवा का रूख बदलना जानते हैं। अध्यक्षता प्रयाग के निदेशक आर ए खान ने की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *