विपक्षी पार्टियों के नेताओं की मीडिया से शिकायत कितनी जायज़

राहुल से लेकर अखिलेश यादव तक अक्सर जताते हैं मीडिया से नाराज़गी

लखनऊ(शिब्ली रामपुरी) विपक्षी पार्टियों के अधिकतर नेताओं द्वारा समय-समय पर मीडिया के प्रति नाराजगी जताई जाती रही है कि मीडिया जिस तरह से सत्ता में बैठे लोगों की बात करता है वैसा विपक्ष के बारे में नहीं दिखाता ना ही विपक्षी पार्टियों की ओर से उठाए गए मुद्दों को इतनी अहमियत मीडिया में दी जाती है.
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक नहीं बल्कि कई बार राहुल गांधी द्वारा मीडिया के प्रति नाराजगी दिखाई गई बल्कि दिल्ली में तो उस समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यहां तक आरोप लगाया था कि मीडिया दिन-रात हिंदू मुस्लिम हिंदी मुस्लिम करता रहता है और मीडिया अपने मूल उद्देश्य से भटक चुका है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा भी मीडिया के प्रति कई बार इस तरह के विचार व्यक्त किए जा चुके हैं जिससे साफ पता चलता है कि मीडिया को लेकर अखिलेश यादव के मन में भी कहीं ना कहीं यह बात गहराई से बैठी है कि मीडिया उनकी बात को अच्छी तरह से जनता के सामने नहीं रखता और सिर्फ सत्तासीन लोगों की बात ही मीडिया करता है.

वैसे तो मीडिया पर इस तरह के आरोप काफी पहले से लगते रहे हैं लेकिन वर्तमान समय में इन आरोपों में काफी बढ़ोतरी नजर आती है. यदि गंभीरता से ध्यान दिया जाए तो पता चलता है कि मीडिया का एक बड़ा तबका विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बात को वास्तव में उतनी प्राथमिकता नहीं देता है कि जितनी सत्ता में बैठे लोगों को अहमियत दी जाती है.
अफसोस तो तब ज्यादा होता है जब अक्सर टीवी चैनलों की डिबेट में एंकर सत्ता पक्ष के प्रवक्ता के रूप में तब्दील हो जाते हैं और विपक्षी पार्टियों के प्रवक्ताओं से उलझना तक आरंभ कर देते हैं. आज कई टीवी चैनलों के एंकरों की छवि सत्ताधारी नेताओं के सुर में सुर मिलाने की बन चुकी है जबकि लोग सवाल करते हैं कि मीडिया को अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाने की जरूरत है और विपक्षी पार्टियों के नेताओं की तो यह शिकायत बहुत तेजी के साथ उभर रही है कि मीडिया विपक्ष में बैठे नेताओं से जितने सवाल करता है काश वो इतने सवाल सत्ता में बैठे लोगों से करता तो फिर समस्याओं का काफी समाधान हो जाता.

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