अल्पसंख्यक मुद्दों को नजरअंदाज करना अखिलेश को पड़ने लगा है भारी?

अल्पसंख्यक मुद्दों पर खामोशी बन रही है बड़ी वजह

शिब्ली रामपुरी

यूपी में कुछ वक्त पहले 3 सीटों पर हुए उपचुनाव में भले ही अखिलेश यादव दो सीटों पर कामयाब रहे हों लेकिन जिस तरह से उनकी पार्टी के ही नेता खुद को पार्टी में अनदेखा किए जाने की नाराजगी का इजहार कर रहे हैं और यहां तक कि कई नेता तो पार्टी को छोड़ चुके हैं और कुछ नेता ऐसे बयान दे रहे हैं कि जिससे इशारा मिल रहा है कि वह कभी भी समाजवादी पार्टी को अलविदा कह सकते हैं.
समाजवादी पार्टी छोड़ने वालों में इमरान मसूद का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है तो वहीं समाजवादी पार्टी के संभल से सांसद शफीक उर रहमान बर्क़ ने जिस तरह से बसपा सुप्रीमो मायावती की तारीफ की है उससे भी यही लगता है कि वह अंदरूनी तौर पर समाजवादी पार्टी से नाराज चल रहे हैं और कभी भी बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम सकते हैं.
इमरान मसूद ने समाजवादी पार्टी जब छोड़ी थी तब उन्होंने यही कहा था कि हमको पार्टी में कुछ समझा ही नहीं जा रहा था तो सपा में रहकर क्या करते और आज इमरान मसूद बहुजन समाज पार्टी में शामिल होने के बाद समाजवादी पार्टी पर जमकर प्रहार कर रहे हैं.
इस लिस्ट में जल्दी ही सपा सांसद डॉक्टर शफीक उर रहमान का नाम भी शामिल होने जा रहा है. इससे साफ है कि अखिलेश यादव पार्टी में अपने नेताओं को ही नजरअंदाज कर रहे हैं और यह बात विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान कई बार सामने भी आ चुकी है. इसके अलावा अल्पसंख्यक मुद्दों पर कई बार अखिलेश यादव की खामोशी भी इस समाज के नेताओं में दूरी पैदा कर रही है.अखिलेश यादव अपना वोट बैंक माने जाने वाले लोगों की अनदेखी कर रहे हैं जो आगामी चुनाव में उन पर भारी भी पड़ सकता है.

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