प्रशांत भूषण ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में चुनाव आयोग की निष्पक्षता सवालों के घेरे में आ गई है
सामाजिक कार्यकर्ता एवं वकील प्रशांत भूषण ने रविवार को कहा कि भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की निष्पक्षता पिछले कुछ वर्षों में सवालों के घेरे में आ गयी है। उन्होंने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि वह सत्तारूढ़ पार्टी के बड़े नेताओं द्वारा चुनाव संहिता के उल्लंघन पर चुप्पी साधे रहता है जबकि ऐसे मामलों में विपक्षी दलों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई करता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार की सुविधा को ध्यान में रखते हुए चुनावों का कार्यक्रम बनाया जाता है। भूषण ने यह भी आरोप लगाया कि सभी नियामक संस्थानों में स्वतंत्रता का अभाव है और उन्होंने इसे सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बताया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का गठन लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने तथा विधायिका एवं कार्यपालिका को उनकी सीमाओं के भीतर रखने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब हम देख रहे हैं कि यह नहीं हो रहा है। सरकार के खिलाफ बोलने वाले लोग राजद्रोह और कई बार तो गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत झूठे मामलों का सामना कर रहे हैं। उन्हें वर्षों तक जमानत नहीं मिल पाती तथा खुलेआम यह किया जा रहा है। हमारी न्यायपालिका इसके खिलाफ काम नहीं कर पा रही है इसलिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता भी खतरे में है।’’