अपराध के खिलाफ योगी की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति, विधेयक में संशोधन, अब गंभीर अपराध के आरोपियों को नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत

हर रोज, हर प्रदेश और हर जिले से महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में बढ़ोतरी की खबर आती है। सरकारें कड़े एक्शन का दावा तो करती हैं, लेकिन कुछ खास बदलाव दिखाई नहीं देता। लेकिन उत्तर प्रदेश के विधानसभा के मानसून सत्र महिलाओं के लिए खास रहा। योगी सरकार ने सदन नमें सीआरपीसी संशोधन विधेयक पेश किया। जिसके बाद अब गंभीर महिला अपराधों में अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। सरकार ने गंभीर आरोपों में जमानत के प्रावधान को खत्म कर दिए हैं। बीते दिनों महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध के बाद इस कदम को बड़े एक्शन के तौर पर देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से प्रस्तावित संशोधन के अनुसार यौन उत्पीड़न से संबंधित अपराधों के अलावा, गैंगस्टर एक्ट, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट, ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट और मृत्युदंड का प्रावधान रखने वाले अभियुक्तों को अदालतों से अंतरिम राहत के रूप में अग्रिम जमानत नहीं लेने दिया जाएगा। प्रस्ताव के अनुसार, इस संशोधन का उद्देश्य अग्रिम जमानत के प्रावधान के संबंध में सीआरपीसी की धारा 438 में संशोधन करना है ताकि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न से संबंधित अपराध करने वालों को अग्रिम जमानत मिलने से रोका जा सके।

 

 

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