राष्ट्रपति चुनाव में खुलकर सामने आई विपक्षी दलों में आपसी फूट

विपक्षी खेमे को क्रॉस वोटिंग का सामना करना पड़ा

(शिब्ली रामपुरी)

राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में गुजरात से लेकर यूपी तक में एनसीपी, कांग्रेस और सपा में फूट देखने को मिली है। नियम के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव में कोई भी पार्टी मतदान के लिए व्हिप नहीं जारी कर सकती। सभी विधायकों और सांसदों को अपनी मर्जी के मुताबिक किसी भी कैंडिडेट को वोट देने का अधिकार होता है। हालांकि परंपरागत तौर पर लोग अपनी पार्टी लाइन के आधार पर ही मतदान करते हैं। ऐसे में क्रॉस वोटिंग किसी भी पार्टी के लिए एक झटके के तौर पर ही देखी जाती है।

गुजरात में एनसीपी के विधायक कांधल एस. जडेजा ने पार्टी के रुख से अलग एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में वोट दिया। उन्हें लेकर पहले ही आशंका जताई जा रही थी कि वह पार्टी से अलग रुख अपना सकते हैं। एनसीपी ने यशवंत सिन्हा के समर्थन का ऐलान किया था। इसके अलावा झारखंड से एनसीपी विधायक कमलेश सिंह ने भी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट डाल दिया। उन्होंने मतदान के बाद कहा कि मैंने अपनी अंतरात्मा के आवाज पर द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट डाला है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां पर भी विपक्षी खेमे के अंदर फूट सामने आई है.अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को भी राष्ट्रपति चुनाव में फूट का सामना करना पड़ा है। एक तरफ अखिलेश यादव के चाचा और प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने खुलेआम द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है तो वहीं सपा के अपने ही विधायक शहजील इस्लाम ने भी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया है। बरेली के भोजीपुरा से पार्टी विधायक शहजील इस्लाम बीते कुछ वक्त से पार्टी से नाराज बताए जा रहे थे।
कांग्रेस भी राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग रोकने में फेल रही है। ओडिशा से पार्टी के विधायक मोहम्मद मुकीम ने भी एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार को वोट दिया है। ओडिशा कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि मुकीम को खुद को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के लिए दावेदारी कर रहे थे। लेकिन ऐसा नहीं होने से वह पार्टी से नाराज थे। झारखंड में भी कांग्रेस के विधायकों की ओर से क्रॉस वोटिंग करने की आशंका है।

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