यूपी में मजबूत विपक्ष के लिए लोकसभा से दिया है आजम और अखिलेश ने इस्तीफा

(शिब्ली रामपुरी)

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सपा को मिली शिकस्त के बाद माना जा रहा था कि अखिलेश यादव विधायक का पद छोड़ेंगे और आजम खान भी ऐसा ही करेंगे लेकिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और सपा नेता आज़म खान ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.
दरअसल इसकी कई वजह हैं.उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव में मेहनत तो बहुत की लेकिन यह बात भी कही जा रही थी कि अखिलेश यादव 4 साल तक सक्रिय राजनीति से काफी दूर रहे और वह सिर्फ ट्विटर वगैरह पर ही राजनीति से जुड़े मुद्दे उठाते रहे और 4 साल बीत जाने के बाद चुनाव करीब आते देख अखिलेश यादव ने जमीनी सियासत की.
अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में काफी मेहनत करने के बावजूद भी सत्ता हासिल नहीं हो सकी हालांकि समाजवादी पार्टी की सीटों में काफी बढ़ोतरी हुई. अखिलेश यादव ने सांसद पद से इस्तीफा देने के फैसले के बाद एक बार से सबको चौंका दिया.लेकिन इसके पीछे जो कारण है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि आखिर अखिलेश यादव विधायक क्यों बने रहना चाहते हैं और उन्होंने सांसद के पद से क्यों इस्तीफा दे दिया दरअसल अखिलेश यादव अब पहले जैसी गलती नहीं दोहराना चाहते और वह पूरी मजबूती के साथ यूपी में मेहनत करना चाहते हैं.वह दिल्ली की राजनीति करने की बजाय यूपी की राजनीति पर ही फोकस करने की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं.
अखिलेश यादव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कमान खुद संभाल सकते हैं और वह ऐसा करके पूरी मजबूती के साथ यूपी में एक बार फिर से समाजवादी पार्टी की मजबूती के लिए कार्य कर सकते हैं.
अखिलेश यादव ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है और वह इन तैयारियों में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहते हैं.
जहां तक आजम खान की बात है तो अखिलेश यादव जानते हैं कि आजम खान तजुर्बेकार नेता हैं और अगर यूपी में सदन में वह मौजूद रहते हैं तो उनके अनुभव का काफी फायदा समाजवादी पार्टी को होगा. यही सब सोचकर अखिलेश यादव और आजम खान ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर विधायक पद पर बने रहने का ही फैसला लिया है. अखिलेश यादव को यह भी भरोसा है कि उनके संसद की सदस्यता छोड़ने से आजमगढ़ से लोकसभा सीट पर उपचुनाव होंगे तो यह सीट दोबारा समाजवादी पार्टी जीत लेगी.
आगामी दिनों में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष को मजबूत बनाने की अखिलेश यादव की यह कोशिश कितना रंग लाती है और वह कितनी मजबूती के साथ राजनीति में सपा को मजबूत करने के प्रयासों में सफल हो पाते हैं.

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