सियासतः पल-पल बदल रहा हरदा का मन, कभी दलित सीएम, तो कभी खुद का चेहरा-अब सोनिया गांधी पर छोड़ा फैसला

मौहम्मद शाहनजर

देहरादून। अपनी भाषा शैली ओर सियासी दावं-पेच से बडे-बडे शूरमाओं को मात देने का हुनर रखने वाले हरीश रावत की वाणी चुनाव संपन्न होते ही पल-पल में बदल रही है। चुनाव से पहले चेहरे के साथ मैदान में उतरने की वकालत करने वाले हरदा पार्टी हाईकमान के सामुहिकता वाले फार्मूले पर तभी तैयार हुए थे, जब चुनाव की कमान हरीश रावत के हाथों में सौंपी गई, हालांकि यह भी सच है की हरीश रावत चुनाव के दौरान लालकुआं-हरिद्वार ग्रामीण तक ही सीमित हो कर रह गये, वह प्रदेश भर में कांग्रेस के निशान पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के लिये प्रचार करने नही जा सके, वर्चुअल जरूर दस्तक देने की कौशिश की गई। अब चुनाव समाप्त होते ही हरीश रावत ने एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाने के मुद्दे को गरमा दिया है। दरअसल हरीश रावत 2002 व 2012 में हालात साजगार होने के बावजूद सीएम न बन पाने का जोखिम जीवन के आखरी पड़ाव 2022 में नही लेना चाहते, इसिलिये उन्हाने सबसे पहले यह कर की,‘ मैं या तो मुख्यमंत्री बनूंगा या घर बैठ जाउंगा’ पार्टी हाईकमान को अपने तेवर दिखा दिये है, मगर अब हरदा का मन पल-पल बदल रहा है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व सीएम हरीश रावत ने दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी, लेकिन मतदान के बाद से वह खुद को मुख्यमंत्री बनाने या घर बैठने की बात कहते नजर आने लगे थे। हरीश रावत नेफिर से दलित सीएम का राग आलापना शुरू कर दिया है। जिसको लेकर एक बार फिर उत्तराखंड में राजनीति तेज हो गई है।
चुनाव से पहले हरीश रावत ने किसी दलित को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाने की इच्छा जाहिर की थी और इसके ठीक बाद उन्होंने यशपाल आर्य और उनके बेटे को कांग्रेस में शामिल करवाया था। इसके बाद हरीश रावत का नया बयान आया कि, प्रदेश में मुख्यमंत्री वहीं बनेगा, जिसे विधायक अपना नेता चुनेंगे। उसके कुछ ही दिनों बाद सब ने देखा कि कैसे हरीश रावत ने खुद को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के लिए पार्टी पर दबाव बनाया और खुद के मुख्यमंत्री बनने या घर बैठने की बात तक कह डाली।
वहीं, एक बार फिर से हरीश रावत ने सीएम पद को लेकर दलित चेहरे का राग छेड़ा हैं। उन्होंने कहा वह भी चाहते हैं कि पंजाब की तरह उत्तराखंड में भी किसी दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया जाए और वह अपने राजनीतिक करियर में एक बार ऐसा देखना चाहते हैं। वहीं, रविवार को मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर कहा कि इसका निर्णय सीधे तौर पर सोनिया गांधी को लेना है और वही प्रदेश में कांग्रेस सरकार का मुख्यमंत्री तय करेंगी।

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48 सीटे जीत कर भी यूकेडी-बसपा को साथ रखने का दावा कर रहे हरीश रावत
देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सन्नी-निम्बू की चाट का स्वाद चखा कर सभी के खट्टे-मीठे अनुभवों को समझने की कौशिश की है, वहीं, प्रीतम गुट को भी साधने का प्रयास किया है। हरीश रावत दावा कर रहें है कि हम 48 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत से सरकार बना रहे हैं, मगर इसके बावजूद भी हम उत्तराखंड क्रांति दल और बसपा समेत सभी लोगों से मिलकर सरकार चलाने की कोशिश करेंगे। हरदा का यह बयान हर किसी को हैरान कर रहा है कि जब कांग्रेस की 48 सीटें आ रहीं है तो बसपा-यूकेडी का समर्थन क्यू ?

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