मैं सीएम ही बनूंगा या फिर घर पर बैठूंगा- हरीश रावत

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में अभी काफी वक्त बाकी है लेकिन कांग्रेस में सीएम का मुद्दा एक बार फिर से बाहर निकल आया। पूर्व सीएम हरीश रावत ने मंगलवार को साफ कहा कि हरीश रावत या तो सीएम ही हो सकता है अन्यथा घर ही बैठ सकता है। इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है। मालूम हो कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। हालांकि रावत कैंप शुरू से रावत को मुख्यमंत्री बनाने की पैरवी करता आ रहा है।

रावत की मीडिया से बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। रावत के अनुसार,  मैं यदि हूं तो अपनी सोच के उत्तराखंड का विकास करूंगा। यह जरूर है कि सभी की सोच को समावेशित करूंगा। अब वक्त नहीं है कि केवल पद के लिए मैं अपनी सोच के साथ समझौता कर लूं। रावत ने कहा कि अब मेरी उम्र यह नहीं रही है कि मैं मैं मैं कह कर कुछ करूं। यह साफ सी बात है कि हरीश रावत या तो मुख्यमंत्री बने या फिर घर बैठूं। मैं पद के लिए सोच के साथ समझौता नहीं कर सकता। 

मालूम हो कि मतदान के दिन भी रावत ने अपने आफिशियल सोशल मीडिया पेज पर वीडियो जारी करते हुए जनता से मतदान की अपील की थी। इसमें उन्होंने कहा कि आप मुझे सीएम के रूप में देखना चाहते हैं। फिर घर से निकलिए और वोट डालिए और कांग्रेस को बहुमत से विजयी बनाइये।

रावत कैंप ने कहा- रावत के अलावा कोई नहीं

प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम हरीश रावत के मुख्य प्रवक्ता सुरेंद्र कुमार ने रावत के बयान की पुष्टि की। कहा कि प्रदेश की जनता रावत को ही मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। इस चुनाव में ही नहीं बल्कि अब अब तक हुए हर चुनाव में रावत के नाम पर वोट पड़ते आए हैं। रावत को तो वर्ष 2002 में ही मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए था। रावत ने अभी कुछ दिन पहले भी खुद को सीएम बनाने की बात कही है, और अब एक बार फिर उन्होंने जनता की भावना को ही सामने रखा है।

रावत की चाहत पर प्रभारी-प्रीतम की राय जुदा

मुख्यमंत्री पद के रावत की चाहत से कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह की राय मेल नहीं खाती। संपर्क करने पर प्रभारी ने कहा कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी है। मैं अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। दूसरी तरफ,प्रीतम ने सीधा रावत पर कमेंट करने से परहेज किया। लेकिन जोर देते हुए कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व वर्तमान चुनाव को सामुहिक नेतृत्व के साथ लड़ाया है। 10 मार्च को पूर्ण बहुमत हासिल करने के बाद राष्ट्रीय नेतृत्व और विधायक दल जो भी सर्वसम्मति से तय करेगा, वहीं मान्य होगा। अभी कुछ भी कहने का औचित्य नहीं है।

 

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